Saturday, March 10, 2012

तुम्हें जाना है तो चले जाओ

तुम्हे जाना है तो चले जाओ
मत रुको मेरे दिल आंगन मे
समझा कर भी देख लिया
रो कर भी देख लिया
समझे ना तुम मुझे
तुम्हे जाना है तो चले जाओ
झूटे वादे कसमे ना निभाओ
धुंधले धुंधले पड़ गए
अक्स तेरी मेरी यादो के
गुनाह सा लगता है
मुझे झूट बोलना तुमसे
समझो ना अब तुम भी
तुम्हे जाना है तो चले जाओ
भोला था शायद वक़्त तब
मिले जब हम तुम ....
डरवाना सा हो गया
कोई छिन रहा वह भोलापन
लगता मुझे जैसे पिला दिया
किसी अजीज ने भर प्याला
जहर का धोखे से मुझे
तुम्हे जाना है तो चले जाओ
एहसास जज्बातों सपनो को
किस तराजू मे रखु
कांटा करने लगा सवाल मुझे
हल्का पड़ गया ...
फिर भी न उठने दे यह भोझ मुझे
जो बिता उसे सजोने दे
तुम्हे जाना है तो चले जाओ
मत रुको मेरे दिल आँगन में
मैं ''पवन''धो डालूँगा निशाँ वह तेरे

-----पवन अरोडा-----

Wednesday, September 29, 2010

धर्मो के यह रहनुमा

धर्मो के यह रहनुमा

बाँट दिया इंसान को
बाँट दिया ईमान को
धर्म के टेकेदारो ने
बाँट दिया भगवान को
इन्ही से है इनकी रोटिया सिकती
जब भी देखा कुर्सी खिसकती
तभी नारा लगा डालते
धर्म की आग जला डालते
पिस्ता आम इंसान यहाँ
इनका तब ईमान कहाँ
जलता गरीबो का घर
किनको किसी ना डर
आप बेटे टीवी पर
मजे लेते हम देख लड़
खुश होते पीट-पीट ताली
यह वार जो न जाता कभी खाली
धर्मो के यह रहनुमा खुद को बतलाते
कभी देखा किसी मस्जिद पर
या मंदिर रोज जाते
खूब उड़ाते मोज बहार
लगाता अपने घर के बाहर
खाकी के यह चोंकिदार
मिलने जब भी हम जाते
यह नहीं आता कभी बाहर
शक्ल दिखती पांच साल मे एक बार
अब तुम भी बनो थोडा समझदार
छोड़ो आपसी यह रंजिश
थोडा धर्मो से आओ बाहर
गले मिलो सब एक हो
चाहे हो ईद या दीपावली का त्योहार
दो दिन की जिन्दगी
आओ हम हँस मिल साथ बिताये यार
~~~~पवन अरोड़ा~~

Saturday, September 4, 2010